टोकेनाइजेशन क्या है | कैसे करें डेबिट क्रेडिट कार्ड का टोकेनाइजेशन | Card Tokenization

टोकेनाइजेशन क्या है

कार्ड टोकेनाइजेशन में डेबिट या क्रेडिट कार्ड की मूल जानकारी जैसे कार्ड का 16 डिजिट का नंबर एवं अन्य जानकारी को इंकरिपटेड (Encrypted) करके एक टोकन के रूप में बदल दिया जाता है। इसे ही कार्ड टोकेनाइजेशन कहते हैं। यह टोकन यूनिक होता है। यह टोकन कार्ड और कार्ड टोकेनाइजेशन का कॉन्बिनेशन होता है। कार्ड रिक्वेस्टर(Requester) वह होता है जो कस्टमर की रिक्वेस्ट पर कार्ड टोकेनाइजेशन की रिक्वेस्ट(Request) को कार्ड नेटवर्क कंपनी को कार्ड टोकेनाइजेशन के लिए भेजता है। जिसके द्वारा एक टोकन बना दिया जाता है। जिसे हम टोकेनाइजेशन के द्वारा जनरेटेड(Generated) टोकन कहते हैं।

कार्ड टोकेनाइजेशन की शुरुवात कैसे हुई

वर्तमान के कार्ड टोकेनाइजेशन का कंसेप्ट(Concept) सन 2001 में ट्रस्ट कॉमर्स कंपनी के द्वारा शुरू किया गया था। जिसका मकसद उनके कस्टमर का संवेदनशील डाटा सुरक्षित करना था। ट्रस्ट कॉमर्स ने इसके लिए TC Citadel® सिस्टम विकसित किया था। यह एप्लीकेशन रेकरिंग(Recurring:आवर्ती) बिलिंग करने में समर्थ था। वह भी बिना कार्ड का डाटा स्टोर किए हुए। इसमें प्राथमिक अकाउंट नंबर(PAN) को एक रिफ्रेन्स (Reference) नंबर से बदल दिया जाता था। जिससे इसमें कार्ड होल्डर की इंफॉर्मेशन नहीं होती थी। जिसके कारण यह हेकर के किसी काम का नहीं था। इस प्रकार कार्ड टोकेनाइजेशन की प्रोसेस द्वारा कार्ड होल्डर की जानकारी को हेक या दुरुपयोग करना संभव नहीं था।

कार्ड टोकेनाइजेशन भारत में कब से होगा लागू

भारतीय रिजर्व बैंक(RBI) की नवीनतम गाइडलाइन के अनुसार कार्ड टोकेनाइजेशन 01 अक्टूबर 2022 से लागू हो जाएगा। पहले कार्ड टोकेनाइजेशन 01 जनवरी 2021 से लागू होना था। लेकिन आरबीआई(RBI) को मिले सुझावों के बाद इसकी लागू करने की समय सीमा 31 दिसंबर 2021 तक बढ़ा दी गई। उसके बाद वर्तमान में इसे लागू करने की समय सीमा 01 अक्टूबर 2022 कर दी गई। इस समय सीमा का मतलब है कि कार्ड नेटवर्क या पेमेंट कंपनी को ग्राहक(Customer) की कार्ड डिटेल जो उन्होने स्टोर की हुई है उसे 30 सितंबर 2022 तक मिटानी(डिलीट) होगी।

क्या कार्ड का टोकेनाइजेशन अनिवार्य है

01 अक्टूबर 2022 से अपने डेबिट या क्रेडिट कार्ड से पेमेंट करने के लिए अपने कार्ड का टोकेनाइजेशन कराना होगा या फिर पेमेंट करने के लिए हर बार अपने डेबिट या क्रेडिट कार्ड की डिटेल डालनी होगी। इसका मतलब यह है कि कार्ड का टोकेनाइजेशन अनिवार्य नहीं है। इसका उपयोग करना या न करना आपकी मर्जी पर निर्भर करता है।

कार्ड टोकेनाइजेशन के फायदे

  1. कार्ड टोकेनाइजेशन की मदद से ज्यादा सुरक्षित डेबिट क्रेडिट कार्ड ट्रैंज़ैक्शन(Transactions) किए जा सकते हैं।
  2. कार्ड टोकेनाइजेशन के कारण ट्रांजैक्शन में लगने वाला समय कम जाता है क्यूंकी हर बार आपको ट्रांजैक्शन करने के लिए पूरी कार्ड डिटेल वैबसाइट या मोबाइल एप्लिकेशन पर नहीं भरनी होती है।
  3. कार्ड टोकेनाइजेशन के कारण कार्ड नेटवर्क कंपनी या मेर्चंत(Merchant) को कार्ड की डिटेल स्टोर नहीं करनी पड़ती है। जिसके कारण स्टोरेज पर आने वाली लागत भी कम हो जाती।

कैसे करें डेबिट/क्रेडिट कार्ड टोकेनाइजेशन

डेबिट/क्रेडिट कार्ड का टोकेनाइजेशन करना एकदम आसान है। इसे आप 6 आसान स्टेप्स मई पूरा कर सकते हैं।

  1. सबसे पहले आप ऑनलाइन ट्रैंज़ैक्शन करने के लिए वैबसाइट या एप्लिकेशन खोले और चेक आउट करते समय पेमेंट ऑप्शन चुने।
  2. चेक आउट करते समय अपने डेबिट/क्रेडिट कार्ड की जरूरी जानकारी भरे।
  3. अब आपको ‘सिक्योर योर कार्ड एज़ पर RBI गाइडलाइंस’ या ‘टोकनाइज योर कार्ड एज़ पर RBI गाइडलाइंस’ का ऑप्शन दिखाई देगा। इस ऑप्शन को चुन लें।
  4. इसके बाद आपके रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर एवं ईमेल पर ओटीपी (OTP) आयेगा। इस OTP को दर्ज करें। इसके बाद सबमिट करें और अपने ट्रैंज़ैक्शन को पूरा करें।
  5. यहीं पर आपको टोकेन जनरेट करने का ऑप्शन आयेगा। इस ऑप्शन का उपयोग करते हुए टोकेन जनरेट करें। इसके बाद आपके कार्ड का टोकन जनरेट हो जाएगा और वैबसाइट या एप्लिकेशन पर आपके कार्ड की जानकारी सेव होने की बजाए आपके कार्ड का केवल टोकन की सेव होगा।
  6. जब आप दोबारा उसी वैबसाइट या एप्लिकेशन पर ट्रैंज़ैक्शन करने के लिए जाएंगे तो आपको पेमेंट करते समय यही टोकन दिखाई देगा और उसके अंतिम चार अंक आपको दिखेंगे जिससे आपको उस टोकन तो पहचाने में आसानी हो।

इस तरह उपरोक्त 6 स्टेप्स को फॉलो करते हुए आप आसानी से अपने डेबिट/क्रेडिट कार्ड का टोकेनाइजेशन कर सकते हैं।

FAQs:

1.प्रश्न: कार्ड टोकेनाइजेशन क्या है ?

उत्तर- कार्ड टोकेनाइजेशन में डेबिट या क्रेडिट कार्ड की मूल जानकारी जैसे कार्ड का 16 डिजिट का नंबर एवं अन्य जानकारी को इंकरिपटेड(Encrypted) करके एक टोकन के रूप में बदल दिया जाता है। इसे ही कार्ड टोकेनाइजेशन कहते हैं। यह तो टोकन यूनिक होता है।

2.प्रश्न: कार्ड टोकेनाइजेशन की शुरुवात किसने की ?

उत्तर- वर्तमान के कार्ड टोकेनाइजेशन का कंसेप्ट(Concept) सन 2001 में ट्रस्ट कॉमर्स कंपनी के द्वारा शुरू किया गया था। जिसका मकसद उनके कस्टमर का संवेदनशील डाटा सुरक्षित करना था। ट्रस्ट कॉमर्स ने इसके लिए TC Citadel® सिस्टम विकसित किया था।

3.प्रश्न: क्या कार्ड टोकेनाइजेशन अनिवार्य है ?

उत्तर- कार्ड का टोकेनाइजेशन अनिवार्य नहीं है। इसका उपयोग करना या न करना आपकी मर्जी पर निर्भर करता है।

4.प्रश्न: डी-टोकनाइजेशन क्या है ?

उत्तर- टोकन को वापस कार्ड विवरण में बदलने को डी-टोकनाइजेशन कहा जाता है।

5.प्रश्न: टोकेनाइजेशन का लाभ उठाने के लिए ग्राहक को क्या शुल्क देना होगा ?

उत्तर- नहीं, टोकेनाइजेशन का लाभ उठाने के लिए कोई शुल्क नहीं देना होगा।

6.प्रश्न: टोकन और डी-टोकनाइजेशन कौन कर सकता है ?

उत्तर- टोकनाइजेशन और डी-टोकनाइजेशन केवल अधिकृत कार्ड नेटवर्क द्वारा ही किया जा सकता है।

7.प्रश्न: क्या टोकन के लिए अनुरोध कर सकने वाले कार्डों की संख्या की कोई सीमा है ?

उत्तर- आप कितने भी कार्डों के टोकन के लिए अनुरोध कर सकते है।

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