Health Insurance खरीदने से पहले रखें इन बातों का ध्यान | Know Important things before buying Health Insurance

हेल्थ इन्शुरेंस खरीदने से पहले आपको कुछ जरूरी चीजों को जानना चाहिए ( Know Important things before buying Health Insurance) बीमारियों का इलाज महंगा होने व हेल्थ इन्शुरेंस की जागरूकता बढ्ने के कारण भारत में लोग हेल्थ इन्शुरेंस तो खरीद रहे हैं। लेकिन जब दावा करने की बात आती है। तो उन्हें एहसास होता है कि दावा करना संभव नहीं है। ये चीज़ें क्यों होती हैं वो इसलिए भारत में जब सभी लोग हेल्थ इन्शुरेंस खरीदते हैं। तो वे केवल दो चीजों पर ध्यान देते हैं।

मुझे कितना कवर चाहिए और जितना संभव हो उतना कम प्रीमियम का भुगतान करना पड़े। ये दोनों चीजें बहुत बुनियादी हैं। ज्यादातर लोगों को स्वास्थ्य बीमा से संबन्धित पूरी शर्तों की जानकारी नहीं होती और इसीलिए उनके दावे का निपटारा करना मुश्किल होता है। हेल्थ इन्शुरेंस टर्म इंश्योरेंस की तरह नियम और शर्तों का खेल है।

Know Important things before buying Health Insurance
Know Important things before buying Health Insurance

अगर आप नियम और शर्तों को अच्छे से समझ लेंगे तो आपके लिए चीजें बहुत आसान हो जाएंगी। हमने इन्हीं नियम और शर्तों पर का जिक्र इस ब्लॉग में किया है। और इसे आपके लिए सरल बनाया है। ताकि आप अपनी व्यक्तिगत आवश्यकता के अनुसार उन नियम और शर्तों को बहुत आसानी से समझ सकें। जिससे एक तो आपका पैसा बचेगा साथ ही क्लेम आसानी से पास होने में भी मदद मिलेगी। देखिए, अधिकतम हेल्थ इन्शुरेंस कंपनियां यही चाहती हैं कि सारी बातें, सारी नियम व शर्तें आपके सामने न आएं। इसके कंपनियां के लिए अपने फायदे हैं।

इस ब्लॉग में हम 5 चीजों पर फोकस करेंगे जिन्हें आपको विस्तार से देखना है। और इन 5 में से तीन चीजें ऐसी हैं, जो बेहद पर्सनलाइज्ड हैं। इसका मतलब है  कि आपकी आवश्यकता उस पर निर्भर करती है। लेकिन उन चीजों में जाने से पहले, हम आपको दो रेसीओ(Ratio) के बारे में बताएँगे जो आपको गलत हेल्थ इन्शुरेंस खरीदने से बचने में मदद करेंगें।

व्यय दावा रेश्यो | Incurred Claim Ratio

व्यय दावा रेश्यो का क्या मतलब है? इसका मतलब है कि उस वित्तीय वर्ष के दौरान कंपनी ने कितने रुपये का प्रीमियम इकट्ठा किया और उसके एवज में उन्होंने कितने रुपये का क्लेम पास किया है। तो आम तौर पर आदर्श रूप से यह अनुपात बहुत अधिक नहीं होना चाहिए। उदाहरण के लिए 2021-22 में रिलायंस इन्शुरेंस कंपनी का अनुपात 196% था।

इसका मतलब है कि कंपनी ने 100 रुपये का प्रीमियम एकत्र किया है। और कंपनी दावो को पास करने के लिए 196 रुपये का भुगतान किया है। कंपनी इस तरह क्लैम पास करती रही तो इस तरह कंपनी घाटे में चली जाएगी। ऐसे में अगर कंपनी खुद घाटे में चली गई तो भविष्य में क्लेम देना मुश्किल हो जाएगा। ये बात भी हमें ध्यान रखनी होगी। इसलिए व्यय दावा अनुपात आदर्श रूप से 50 और 90% के बीच होना चाहिए और यदि यह 90% से ऊपर है, तो कंपनी को नुकसान हो सकता है और अगर यह 50% से कम है, तो इसका मतलब यह हो सकता है कि कंपनी दावे को आसानी से पास करने में असमर्थ है।

कोई भी रेश्यो देखिये इसे एक साल के लिए ही मत देखिये। ज्यादातर कंपनियाँ अपना एक साल का अनुपात दिखाकर आपको आकर्षित करती हैं। आपको इसमें नहीं फंसना चाहिए। कभी-कभी यह बहुत कम होता है, और कभी-कभी यह बहुत अधिक होता है। मामला सिर्फ खर्च हुए दावे के अनुपात का नहीं है। इसके लिए हमें यह समझना होगा कि कंपनी ने कितने दावों को खारिज किया। जो हम इस पर आगे इस ब्लॉग में बात करेंगे। लेकिन इसे समझने के लिए हमें क्लेम सेटलमेंट रेशियो के बारे में बात करनी होगी।

क्लेम सेटलमेंट रेशियो | Claim Settlement Ration

हम दावा निपटान अनुपात के बारे में बात कर चुके हैं। यह हमें बताता है कि कंपनी ने 100 में से कितने दावों को मंजूरी दी है। तो आम तौर पर होता यह है कि कई कंपनियाँ पिछला एक साल या, पहले तीन महीने, या छह महीने दिखाकर आपको आकर्षित करने की कोशिश करती हैं। यदि कंपनियों का दावा निपटान अनुपात 99% से ऊपर है। इसका मतलब है कि ये सभी कंपनियां अपने दावों का निपटान बहुत अच्छी तरह से करती हैं। ऐसा बिलकुल भी नहीं है। कोविड के साल में उनकी स्थिति देखिए। हमें उनकी हकीकत पता चलती है। इसलिए कोविड के दौरान एक भी कंपनी अपना क्लेम ठीक से सेटल नहीं कर पाई।

बहुत से लोगों को यह समझ है कि मैंने कितने रुपये का कवर लिया है? मन लो मैंने एक करोड़ का कवर लिया है तो अच्छा है। अब मेरी समस्याएँ हल हो गई हैं। ऐसा बिलकुल भी नहीं है।  कई लोग हेल्थ इन्शुरेंस को समझ ही नहीं पाते हैं। अगर आप हेल्थ इन्शुरेंस को समझना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको अपनी आवश्यकता को समझना होगा। ये सभी बातें हम बहुत ही सरल भाषा में समझायेंगे। जैसे की सब लिमिट, प्री-हॉस्पिटलाइज़ेशन, पोस्ट-हॉस्पिटलाइज़ेशन, रूम रेंटिंग।

अब आप ही बताएं कि भारत में हेल्थ इन्शुरेंस दावे की सबसे बड़ी समस्या क्या है? किसी मरीज की सर्जरी होती है तो उनके परिजन क्लेम करने जाते हैं तो उन्हें पता चलता है कि सर्जरी भले ही 10.0 लाख की हो, कंपनी 1.00 लाख का ही क्लैम देती है। तब लोग सोचते हैं कि हेल्थ इन्शुरेंस लेने का क्या फायदा? अब ये सभी चीजें Sub Limit में कवर हो जाती हैं। अब जब आप सब लिमिट के नियम और शर्तों को समझ गए हैं। तो इसका मतलब है कि आप हेल्थ इन्शुरेंस के बारे में काफी समझ गए हैं।

सब लिमिट | Sub Limit

यह हेल्थ इन्शुरेंस कंपनी की एक उप-सीमा है, जिसमें वो एक नोट जोड़ती है। जिसमें कहा जाता है कि यदि आपकी रोबोटिक सर्जरी है, तो हम 1.0 लाख से अधिक नहीं देंगे। फिर भले ही सर्जरी के लिए 10.0 लाख या इससे भी अधिक खर्च हो। भले ही आपका बीमा कवरेज 50.0 लाख या 100.0 लाख हो क्यूँ न हो। इस सब लिमिट में हर प्रकार के लिए एक खास लिमिट तय होती है। हेल्थ इन्शुरेंस लेते समय हमे इसे डीटेल(Detail) मई समझना बहुत जरूरी है।

पॉलिसी डॉक्युमेंट्स | Policy Documents

बीमा खरीदते समय आपको अपना पॉलिसी डॉक्युमेंट्स सही से देखना चाहिए। जहां आपको पॉलिसी की शब्दावली पढ़नी चाहिए। आपको वहाँ पढ़ना होगा जहां प्रत्येक शब्द को परिभाषित किया गया है। हर चीज़ को कंपनी यहां परिभाषित करती है। जैसे विभिन्न प्रकार की सर्जरी और बीमारियों से संबंधित उप-तत्व(sub-elements)। आपके डे केयर(Day Care) उपचार क्या हैं।

कई अस्पतालों में ऐसा होता है, जहां आपको 24 घंटे अस्पताल में भर्ती रहना पड़ता है। तभी आप जाकर इलाज के खर्चे को क्लेम कर सकते हैं। अन्यथा यह संभव नहीं होगा। तो आपको ये सारी जानकारी कहां से मिलेगी? ये आपको पॉलिसी डॉक्युमेंट्स में पता चल जाएगा। सारी बातें आपको यहां पढ़ने को मिलेंगी। इसके साथ ही आपको प्रॉस्पेक्टस और ब्रोशर भी पढ़ना होगा। अब देखिए आपके पास एक केयर सुप्रीम डायरेक्ट प्लान है। जहां लिखा है नो सबलिमिट इसका मतलब यह है कि जो भी सर्जरी होगी। उसमें कोई सबलिमिट नहीं होगी। तो ये देखना बहुत ज़रूरी है। और बहुत से लोग इसे नहीं देख पाते। वो सीधे प्रीमियम या कवरेज देखते हैं और तुरंत उसे खरीद लेते हैं और वहीं उन्हें समस्या का सामना करना पड़ता है। सबलिमिट को आपको हर कीमत पर जांचना चाहिए।

कैशलेस अस्पताल | Cashless Hospital

आजकल सभी हेल्थ इन्शुरेंस कंपनीयां आपको कैशलेस हॉस्पिटल का विकल्प देती है। हम इसे बहुत महत्व दे रहे है। क्योंकि कैशलेस हॉस्पिटल के बहुत फायदे हैं। जैसे किसी कंपनी की शर्त होती है कि अगर आप हमारे नेटवर्क हॉस्पिटल से हैं और आपको एंबुलेंस मिलती है तो उसका खर्च कंपनी उठायगी। सोचिए आपका घर अस्पताल से बहुत दूर है। तो ऐसे में एंबुलेंस का सारा खर्चा निकल जाएगा। लेकिन अगर एंबुलेंस हमारे नेटवर्क हॉस्पिटल की नहीं है तो कंपनी सिर्फ 3,000 रुपये ही दे सकती हैं।

इसलिए इन सभी समस्याओं के होने से बेहतर है। कि आप एक नेटवर्क अस्पताल चुनें और यह भी देखें कि किसका नेटवर्क अस्पताल बेहतर है। उन्होंने किस हेल्थ इन्शुरेंस कंपनी के साथ समझौता किया है? तो ये देखना भी उतना ही जरूरी है। इसके लिए आप बीमा कंपनी की साइट पर अपना पिन कोड या शहर का नाम डाल कर इन चीजों के बारे में आसानी से जान सकते हैं। कैशलेस का एक फायदा ये भी है। कि आपको पहले कैश का इंतजाम नहीं करना पड़ेगा। कंपनी खुद कर लेगी।

रूम रेंट | Room Rent

आप ऐसी हेल्थ इन्शुरेंस कंपनी के साथ जा सकते हैं। जहां कमरे के किराए की कोई सीमा नहीं है। क्योंकि उसके कारण बहुत सारी समस्याएं कम हो जाती हैं। यदि कमरे के किराए की कोई सीमा नहीं है। तो आपको अच्छे से अच्छे अस्पताल में भर्ती कराया जाएगा। एक विशेषज्ञ चिकित्सक को बुलाया जाएगा जो सिर्फ आपको देखने आएगा। आजकल बहुत सी कंपनियां कमरे के किराये पर कोई सीमा नहीं रख रही हैं। कई कंपनियां रूम रेंट पर कोई शर्त नहीं रखतीं हैं। कमरे के किराये की कोई सीमा नहीं है।

नो क्लेम बोनस | No Claim Bonus

नो क्लेम बोनस कंपनी द्वारा जब दिया जाता है जब अपने किसी पॉलिसी वर्ष मई कोई भी क्लैम न किया हो। इसके लिए कंपनी के पास दो विकल्प होंगे या तो वह आपके प्रीमियम का भुगतान करती है या अतिरिक्त कवरेज देता है। बहुत सी कंपनियाँ अपने मुनाफ़े के बारे में सोचती हैं। वो प्रीमियम कम नहीं करतीं। वो आपका कवरेज बढ़ा देंगी।

यदि किसी भी वर्ष आप किसी विशेष दावे का उपयोग करते हैं। तो आपको कितनी राशि वापस मिलती है। इनकी तरह कई हेल्थ इन्शुरेंस कंपनियां हैं। जहां वे अच्छी रकम या असीमित Renewal देते हैं। मतलब एक बार जब आप किसी विशेष राशि का दावा करते हैं। तो वह रेन्यु हो जाती है। और फिर आप सामान्य बीमारी और बढ़ती बीमारी और पहले से मौजूद बीमारी के लिए वेटिंग पीरियड (Waiting Period) देख सकते हैं। क्योंकि वेटिंग पीरियड के बाद ही हम उस चीज़ पर दावा कर सकते हैं। उससे पहले नहीं।

नो क्लेम बोनस
नो क्लेम बोनस

रायडर | Rider

अगर आपको कोई बीमारी है। जैसे मधुमेह, उच्च रक्तचाप आदि और आप तत्काल कवर चाहते हैं और आप इंतजार नहीं करना चाहते तो आपको अतिरिक्त राशि का भुगतान करना होगा। यह निर्भर करता है। कि क्या आपके पास वह चीज़ पहले से है। वार्षिक स्वास्थ्य जांच के लिए कंपनी आप से 450 रुपये की अलग से मांग करती हैं। हमारा सुझाव है कि इसे न लें। क्योंकि अधिकांश हेल्थ इन्शुरेंस कंपनियाँ आपके लिए यह निःशुल्क उपलब्ध कराती हैं।

इसके बाद पहले से मौजूद बीमारियों में कमी आती है। इसलिए यदि आप इसकी समयावधि कम करना चाहते हैं। तो आपको इसके लिए अलग से भुगतान करना होगा। यह इस बात पर निर्भर करता है। कि क्या आपको कोई बीमारी है और आपके अस्पताल में भर्ती होने की संभावना है। भविष्य में खर्च बढ़ने की संभावना अधिक होगी। तो आप अपने हिसाब से ये तय कर सकते हैं।

टॉप अप | Top-Up

स्वास्थ्य बीमा में आपको सुपर टॉप अप और टॉप अप का भी विकल्प मिलता है। हम आपको साधारण टॉप-अप के बजाय सुपर टॉप-अप अपनाने का सुझाव देंगे। सुपर टॉप-अप में दूसरे दावे के दौरान कोई कटौती नहीं होगी। तो आपको यहां पर पूरी रकम मिल जाएगी। तो टॉप-अप और सुपर टॉप-अप के बीच यही मुख्य अंतर है। इसलिए कई बार सुपर टॉप-अप आपको प्रति वर्ष 1000 रुपये का भुगतान करने के बाद 80-90 लाख का अलग से कवरेज देता है। इसलिए अपनी स्थिति के आधार पर यह एक अच्छा सौदा हो सकता है। भारत में चिकित्सा खर्च 14% बढ़ गया है। जो कि अन्य एशिया देशों की तुलना में अधिक है। इसलिए हम सब का हेल्थ इन्शुरेंस होना चाहिए।

आयकर में छूट | Income Tax Rebate

आप अपने जीवनसाथी या बच्चों के लिए स्वास्थ्य बीमा लेने पर लगभग 25,000 का Income Tax का लाभ प्राप्त कर सकते हैं। अगर आप अपने माता-पिता को लेते हैं। तो उसमें से भी आपको 25000 तक Income Tax का लाभ मिल सकता है। या कुछ मामलों में तो टैक्स कटौती से आपको इससे भी ज्यादा मिल सकता है।

अन्य महत्तपूर्ण टिप्स | Other Important Tips

बीमा लेते समय आपको ऑनलाइन विवरण भरना चाहिए जैसे कि आप कितना कवर करना चाहते हैं। आप रूम किराया प्रकार का चयन कर सकते हैं। और पॉलिसी लाभ का चयन कर सकते हैं। जैसे आप प्री-हॉस्पिटलाइज़ेशन किस के लिए चाहते हैं। ऐसी बीमारियाँ जिनमें आपको अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है। और उस सर्जरी के बाद भी आपको अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है। इसलिए आप अस्पताल में भर्ती होने से पहले और बाद में अस्पताल में भर्ती होने मिलने वाले कवर ध्यान दे सकते हैं। मतलब व्यय दावा अनुपात, दावा निपटान अनुपात, कितने दावे अस्वीकार किए गए हैं। आपको इन सभी को जांचना होगा। कोई कंपनी आपकी सभी शर्तों की अनदेखी कर रही है। इसका मतलब यह नहीं है कि आप जाकर उस कंपनी से बीमा ले लें।

इन तीन चीजों की जांच करें और फिर इन आवश्यकताओं के बाद ही अपना सर्वश्रेष्ठ बीमा खोजें। जब आप अपनी व्यक्तिगत चीजें देखते हैं। तो आपका मुख्य ध्यान उप सीमा, अस्पताल में भर्ती होने के बाद, अस्पताल में भर्ती होने से पहले कोई कमरा किराया की सीमा है या नहीं। और कौन सी और सभी बीमारियों और नेटवर्क अस्पतालों पर होना चाहिए। आप इन सब पर थोड़ा और फोकस कर सकते हैं।

कंपनी ज्यादातर शर्तों को गुप्त रखती है। ताकि ज्यादा लोगों को इसके बारे में पता न चल सके। और जब क्लेम करने के दौरान लोगों को शर्तों के बारे में पता चल जाता है तो आप कुछ नहीं कर पाते। और इन कंपनियों ये फायदे हो जाते हैं। तो बस इन सभी चीजों को देखें, समझें और सही हेल्थ इन्शुरेंस लें। आप इन चीजों की जांच करें और अपनी आवश्यकताओं से समझौता न करें। हेल्थ इन्शुरेंस खरीदने से पहले हमें कुछ जरूरी चीजों को जानना चाहिए ( Know Important things before buying Health Insurance ) इस तरह आप आसानी से एक अच्छी बीमा पॉलिसी ढूंढ सकते हैं।

FAQs

Q : स्वास्थ्य बीमा खरीदने से पहले मुझे क्या विचार करना चाहिए ?

Ans : ज्यादातर लोगों को स्वास्थ्य बीमा से संबन्धित पूरी शर्तों की जानकारी नहीं होती और इसीलिए उनके दावे का निपटारा करना मुश्किल होता है। हेल्थ इन्शुरेंस टर्म इंश्योरेंस की तरह नियम और शर्तों का खेल है। अगर आप नियम और शर्तों को अच्छे से समझ लेंगे तो आपके लिए चीजें बहुत आसान हो जाएंगी।

Q : टॉप अप क्या होता है ?

Ans : स्वास्थ्य बीमा में आपको सुपर टॉप अप और टॉप अप का भी विकल्प मिलता है। हम आपको साधारण टॉप-अप के बजाय सुपर टॉप-अप अपनाने का सुझाव देंगे। सुपर टॉप-अप में दूसरे दावे के दौरान कोई कटौती नहीं होगी। तो आपको यहां पर पूरी रकम मिल जाएगी। तो टॉप-अप और सुपर टॉप-अप के बीच यही मुख्य अंतर है। इसलिए कई बार सुपर टॉप-अप आपको प्रति वर्ष 1000 रुपये का भुगतान करने के बाद 80-90 लाख का अलग से कवरेज देता है। इसलिए अपनी स्थिति के आधार पर यह एक अच्छा सौदा हो सकता है।

Q : नो क्लेम बोनस क्या होता है ?

Ans : नो क्लेम बोनस कंपनी द्वारा जब दिया जाता है जब अपने किसी पॉलिसी वर्ष मई कोई भी क्लैम न किया हो। इसके लिए कंपनी के पास दो विकल्प होंगे या तो वह आपके प्रीमियम का भुगतान करती है या अतिरिक्त कवरेज देता है। बहुत सी कंपनियाँ अपने मुनाफ़े के बारे में सोचती हैं। वो प्रीमियम कम नहीं करतीं। वो आपका कवरेज बढ़ा देंगी।

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